अगर दिख जाये सफेद चूहा तो भाग्य खुल जायेंगे
राजस्थान का देशनोक नामक स्थान। यहां विश्व प्रसिद्ध करनी माता का मंदिर है जिसे चूहे वाली माता का मंदिर भी कहा जाता है। भगवान गणेश का वाहन चूहा यहां पूरे मंदिर में धमा-चौकरी में मचाता-फिरता है। माता के दर्शन करने वालों के पैरों पर और शरीर पर भी चूहा चढ़ जाता है लेकिन फिर भी लोग चूहों से नाराज नहीं होते। इसे माता का आशीर्वाद और कृपा मानकर प्रसन्न होते हैं।
करनी माता के दर्शन करने के लिए जो भी भक्त आते हैं वह इन चूहों के खाने के लिए कुछ न कुछ जरूर लाते हैं। माता के मंदिर में सुबह की पूजा और शाम की आरती के समय चूहों की फौज देखने लायक होती है। मंदिर में आपको बड़ी ही सावधानी से अपना पैर रखना होगा अन्यथा एक दो चूहे पैरों से दबकर मर भी सकते हैं। चूहों का दबकर मर जाना यहां अपशकुन समझा जाता है।
करनी माता को इस क्षेत्र में जगदम्बा का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि करनी माता का जन्म एक चारण परिवार में हुआ था। बाल्यकाल में ही इन्होंने अपने चमत्कारों से लोगों का कल्याण करना शुरू कर दिया जिससे लोगों ने इन्हें करनी माता कहना शुरू कर दिया। माता एक गुफा में रह अपने इष्ट देव की आराधना किया करती थी। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। माता के ज्योर्लिलीन होने के बाद इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कर उसमें मूर्ति स्थापित की गयी।
मंदिर में मौजूद चूहों के विषय में किंवदंती है कि माता के सौतेल पुत्र की मृत्यु कुएं में गिरने से हो गयी। माता ने यमराज को आदेश दिया कि उनके पुत्र को जीवित कर दे, यमराज ने माता के पुत्र को जीवित तो कर दिया लेकिन वह चूहा बन गया। इसलिए माना जाता है कि चूहे माता के पुत्र के समान हैं। माता के वंशज मृत्यु के बाद चूहा बनाकर मंदिर में पहुंच जाते हैं।
जैसे अमरनाथ मंदिर में कबूतरों को दिखना शुभ माना जाता है ठीक इसी तरह करनी माता मंदिर में चूहों की फौज में सफेद चूहों का दिख जाना बड़ा ही शुभ संयोग माना जाता है। मान्यता है कि सफेद चूहा दिख जाने से मांगी गयी मुराद पूरी होती है।
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