दुकान,फैक्ट्री,कार्यस्थल की बाधाओं के लक्षण
किसी दुकान या फैक्ट्री के मालिक का दुकान या फैक्ट्री में मन नहीं लगना,ग्राहकों की संख्या में कमी आना, आए हुए ग्राहकों से मालिक का अनावश्यक तर्क-वितर्क-कुतर्क और कलह करना, श्रमिकों व मशीनरी से संबंधित परेशानियां, मालिक को दुकान में अनावश्यक शारीरिक व मानसिक भारीपन रहना, दुकान या फैक्ट्री जाने की इच्छा न करना, तालेबंदी की नौबत आना, दुकान ही मालिक को खाने लगे और अंत में दुकान बेचने पर भी नहीं बिके।
कार्यालय बंधन के लक्षण ये हैं
कार्यालय बराबर नहीं जाना, साथियों से अनावश्यक तकरार, कार्यालय में मन नहीं लगना, कार्यालय और घर के रास्ते में शरीर में भारीपन व दर्द की शिकायत होना, कार्यालय में बिना गलती के भी अपमानित होना।
कार्यालय बराबर नहीं जाना, साथियों से अनावश्यक तकरार, कार्यालय में मन नहीं लगना, कार्यालय और घर के रास्ते में शरीर में भारीपन व दर्द की शिकायत होना, कार्यालय में बिना गलती के भी अपमानित होना।
घर-परिवार में बाधा के लक्षण
परिवार में अशांति और कलह, बनते काम का ऐन वक्त पर बिगड़ना, आर्थिक परेशानियां, योग्य और होनहार बच्चों के रिश्तों में अनावश्यक अड़चन, विषय विशेष पर परिवार के सदस्यों का एकमत न होकर अन्य मुद्दों पर कुतर्क करके आपस में कलह कर विषय से भटक जाना, परिवार का कोई न कोई सदस्य शारीरिक दर्द, अवसाद, चिड़चिड़ेपन एवं निराशा का शिकार रहता हो, घर के मुख्य द्वार पर अनावश्यक गंदगी रहना। इष्ट की अगरबत्तियां बीच में ही बुझ जाना, भरपूर घी, तेल, बत्ती रहने के बाद भी इष्ट का दीपक बुझना या खंडित होना, पूजा या खाने के समय घर में कलह की स्थिति बनना, व्यक्ति विशेष का बंधन, हर कार्य में विफलता। हर कदम पर अपमान, दिल और दिमाग का काम नहीं करना, घर में रहे तो बाहर की और बाहर रहे तो घर की सोचना, शरीर में दर्द होना और दर्द खत्म होने के बाद गला सूखना।
परिवार में अशांति और कलह, बनते काम का ऐन वक्त पर बिगड़ना, आर्थिक परेशानियां, योग्य और होनहार बच्चों के रिश्तों में अनावश्यक अड़चन, विषय विशेष पर परिवार के सदस्यों का एकमत न होकर अन्य मुद्दों पर कुतर्क करके आपस में कलह कर विषय से भटक जाना, परिवार का कोई न कोई सदस्य शारीरिक दर्द, अवसाद, चिड़चिड़ेपन एवं निराशा का शिकार रहता हो, घर के मुख्य द्वार पर अनावश्यक गंदगी रहना। इष्ट की अगरबत्तियां बीच में ही बुझ जाना, भरपूर घी, तेल, बत्ती रहने के बाद भी इष्ट का दीपक बुझना या खंडित होना, पूजा या खाने के समय घर में कलह की स्थिति बनना, व्यक्ति विशेष का बंधन, हर कार्य में विफलता। हर कदम पर अपमान, दिल और दिमाग का काम नहीं करना, घर में रहे तो बाहर की और बाहर रहे तो घर की सोचना, शरीर में दर्द होना और दर्द खत्म होने के बाद गला सूखना।
उपाय
पूजा एवं भोजन के समय कलह की स्थिति बनने पर घर के पूजा स्थल की नियमित सफाई करें और मंदिर में नियमित दीप जलाकर पूजा करें। एक मुट्ठी नमक पूजा स्थल से वार कर बाहर फेंकें, पूजा नियमित होनी चाहिए।
पूजा एवं भोजन के समय कलह की स्थिति बनने पर घर के पूजा स्थल की नियमित सफाई करें और मंदिर में नियमित दीप जलाकर पूजा करें। एक मुट्ठी नमक पूजा स्थल से वार कर बाहर फेंकें, पूजा नियमित होनी चाहिए।
इष्ट पर आस्था और विश्वास रखें। स्वयं की साधना पर ज्यादा ध्यान दें।
गलतियों के लिये इष्ट से क्षमा मांगें। इष्ट को जल अर्पित करके घर में उसका नित्य छिड़काव करें। जिस पानी से घर में पोछा लगता है, उसमें थोड़ा नमक डालें। कार्य क्षेत्र पर नित्य शाम को नमक छिड़क कर प्रातः झाडू से साफ करें। घर और कार्यक्षेत्र के मुख्य द्वार को साफ रखें। हिंदू धर्मावलंबी हैं, तो गुग्गुल की और मुस्लिम धर्मावलम्बी हैं, तो लोबान की धूप दें।
गलतियों के लिये इष्ट से क्षमा मांगें। इष्ट को जल अर्पित करके घर में उसका नित्य छिड़काव करें। जिस पानी से घर में पोछा लगता है, उसमें थोड़ा नमक डालें। कार्य क्षेत्र पर नित्य शाम को नमक छिड़क कर प्रातः झाडू से साफ करें। घर और कार्यक्षेत्र के मुख्य द्वार को साफ रखें। हिंदू धर्मावलंबी हैं, तो गुग्गुल की और मुस्लिम धर्मावलम्बी हैं, तो लोबान की धूप दें।
व्यक्तिगत बाधा निवारण के लिए
व्यक्तिगत बाधा के लिए एक मुट्ठी पिसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने सिर के ऊपर से तीन बार उतार लें और उसे दरवाजे के बाहर फेंकें। ऐसा तीन दिन लगातार करें। यदि आराम न मिले तो नमक को सिर के ऊपर वार कर शौचालय में डालकर फ्लश चला दें। निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।
हमारी या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य की ग्रह स्थिति थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हमें निश्चय ही इन उपायों से भरपूर लाभ मिलेगा।
व्यक्तिगत बाधा के लिए एक मुट्ठी पिसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने सिर के ऊपर से तीन बार उतार लें और उसे दरवाजे के बाहर फेंकें। ऐसा तीन दिन लगातार करें। यदि आराम न मिले तो नमक को सिर के ऊपर वार कर शौचालय में डालकर फ्लश चला दें। निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।
हमारी या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य की ग्रह स्थिति थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हमें निश्चय ही इन उपायों से भरपूर लाभ मिलेगा।
गृह बाधा की शांति के लिए पश्चिमाभिमुख होकर क्क नमः शिवाय मंत्र का 21 बार या 21 माला श्रद्धापूर्वक जप करें। यदि बीमारी का पता नहीं चल पा रहा हो और व्यक्ति स्वस्थ भी नहीं हो पा रहा हो, तो सात प्रकार के अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी में उबाल कर छान लें। छने व उबले अनाज (बाकले) में एक तोला सिंदूर की पुड़िया और ५० ग्राम तिल का तेल डाल कर कीकर (देसी बबूल) की जड़ में डालें या किसी भी रविवार को दोपहर १२ बजे भैरव स्थल पर चढ़ा दें। बदन दर्द हो, तो मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में सिक्का चढ़ाकर उसमें लगी सिंदूर का तिलक करें। पानी पीते समय यदि गिलास में पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फेंकें नहीं, गिलास में ही रहने दें। फेंकने से मानसिक अशांति होगी क्योंकि पानी चंद्रमा का कारक है।
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